Remedy गंगा नदी में, किसी मंदिर के पास के जलाशय या रेलयात्रा के वक़्त नदियों में सिक्के डालने का प्रचलन अब भी चला आ रहा हैं। यहां तक की पवित्र नदी में स्नान के बाद श्रद्धालु सिक्के फेंकते हैं । इस तरह पानी में सिक्के डालना आस्था का प्रतीक है या अंधविश्वास का स्वयं विचार करें ।
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वैज्ञानिक दृष्टि पर नजर दौड़ाये तो पुराने जमाने के सिक्कों में ताँबा अधिक होता था जो पानी के बैक्टीरिया को मारकर नैसर्गिक तौर पर पानी को Purify करता था जबकि वर्तमान सिक्के 83% लोहे और 17 % क्रोमियम के बने होते हैं। क्रोमियम एक भारी जहरीली धातु है जो कि स्वास्थ्य के लिये बिल्कुल भी हितकर नहीं है।
ज्योतिष शास्त्र और लाल किताब के अनुसार तांबे का सिक्का पानी में डालने से सूर्यदेव अनुकुल होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
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कुछ लोगों की मान्यता है कि नदी में सिक्के अर्पित करने से उनके जीवन में आ रही बाधा और परेशानियों से नकारात्मकता का अंत होगा और सकारात्मकता का संचार होगा। धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बनाएं रखेंगी।
इसी से संबंधित उपाय बताने जा रहा हूँ जो वैज्ञानिक और ज्योतिष दोनों नजरिये से फिट बैठते है।
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किसी यात्रा में जाना हो जहाँ नदिया पड़े या नदी स्नान से कुछ दिन पहले से ही आप, या तो कुछ पुराने-खराब वायर ढूंढें या 2-3 मीटर नया खरीद ले। इसको दाँतो से चीरकर या कैंची से काटकर वायर का रबर का कवर हटाकर इसके अंदर के ताँबे (Copper) के वायर को अलग करके अपनी ऊँगली में 9 बार लपेटते हुए गोल सिक्के जैसा बनाते जाये । नदी या पानी को ताँबे से मतलब होता है ना कि सिक्के, ताँबे की बोतल या आकार से..इसे आप यात्रा के वक़्त सीट पर बैठकर पानी में डाल सकते है। इससे पानी भी साँफ़ होगा और आपका सूर्य बली होगा।
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और सूर्य के बली होने से मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा, सरकारी लाभ, राजनितिक क्षेत्र में सफलता आदि प्राप्त होते है ।