मित्रों नवग्रह में शनि ग्रह अहम स्थान रखते हैं। इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। कहते हैं कि जब शनि किसी पर अपनी कुदृष्टि करते हैं तो उस जातक को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब यही अपना आशीर्वाद बरसाते हैं तो रंक भी राजा बन जाता है। शनि ग्रह को बलवान करने, शनि की साढ़े साती, शनि की ढैय्या, दशा, महादशा या अन्तर्दशा में या शनि संबंधी किसी भी प्रकार की पीड़ा को शांत करने के लिए शनि के रत्न पहने जाते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको शनि से जुड़े रत्नों की जानकारी प्रदान करेंगे।
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नीलम :
शनि के लिए अक्सर नीलम रत्न को पहने की सलाह दी जाती। संस्कृत में नीलम को इन्द्रनील, तृषाग्रही नीलमणि भी कहा जाता है। नीलम के प्रकार- 1. जलनील, 2. इन्द्रनील।
नीलम के उपरत्न :
यदि नीलम खरीदने की सामर्थ नहीं है तो नीलम के उपरत्न लीलिया, जमुनिया, नीली, नीला टोपाज, लाजवर्त, सोडालाइट, तंजनाईट आदि को धारण किया जा सकता है।
नीलमणि :
नीलमणि रत्न भी यह नीलम की ही तरह होती है।
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लोहे का छल्ला :
जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा। मतलब यह कि तब लोहे का छल्ला अंगुली में धारण करना चाहिए।
घोड़े की नाल :
यह भी लोहे का छल्ला ही होता है। बस फर्क यह होता है कि यह घोड़े की नाल के लोहे से बना छल्ला होता है जो कि ज्यादा प्रभावकारी माना गया है।
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उल्लेखनीय है कि शनि का रत्न या छल्ला शनि की अंगुली में पहना जाता है। शनि की अंगुली मध्यमा अर्थात सबसे बड़ी वाली अंगुली होती है।
शनि से जुड़े रत्नों को धारण करने से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करा लें। इसके बाद ही इन रत्नों को धारण करना चाहिए।