सहारनपुर : बुध ग्रह को ग्रहों में राजकुमार की उपाधि दी गई है। बुध ग्रह को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि कहा जा सकता है। इसीलिए धन, वैभव आदि का संबंध बुध से है। बुध की दिशा उत्तर है तथा उत्तर दिशा कुबेर का स्थान भी है। बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म है। अनुकूलनशीलता हर हाल में खुद को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता है।
ज्योतिषाचार्य शालिनी मल्होत्रा बताती हैं कि बुध को कई महत्वपूर्ण तथ्यों का कारक ग्रह माना गया है जैसे – वाणी का कारक, बुद्धि का कारक, त्वचा का कारक, मस्तिष्क की तंत्रिका तंत्र का कारक आदि। जन्म या वर्ष कुंडली में बुध ग्रह अशुभफलदायी हो तो भगवान विष्णु का ध्यान करके शुक्ल पक्ष के बुधवार को आरंभ करके 9000 की संख्या में बीज मंत्र का जप करना चाहिए। बुध के तांत्रोक्त मंत्र हैं ऊँ ऎं स्त्रीं श्रीं बुधाय नम: ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ऊँ स्त्रीं स्त्रीं बुधाय नम: दान योग्य वस्तुएं मूंगी, 5 हरे फल, चीनी, हरे पुष्प, हरी इलायची, कांस्य पत्र, पन्ना सोना, हाथी का दांत, हरी सब्जी, हरा कपड़ा, दक्षिणा सहित दान करें।
उपाय
कुंडली में बुध शुभ होते हुए भी फलकारक न हो तो निम्न उपाय शुभ होंगे-
1. हरे रंग का पन्ना बुधवार को सोने की अंगुठी में धारण करें।
2. हरे रंग के वस्त्र पहनें परंतु यदि बुध अशुभ हो तो हरे वस्त्र कदापि न पहनें।
3. बुधवार को चांदी या कांस्य के गोल टुकड़े को हरे रंग के कपड़े में लपेट कर जेब में रखें या भुजाओं के साथ बांधें। यदि बुध अशुभ हो तो 1 मूंगी साबत के सात दानें, हरा पत्थर, कांसे का गोल चुकड़ा, हरे वस्त्र में लपेट कर बुधवार को चलते पानी में बहाना शुभ होगा। पानी में बहाते समय कम से कम सात बार बीज मंत्र पढ़ें। 2 हरे रंग के वस्त्र किसी हिजड़े को बुधवार के दिन देना शुभ होता है। 3 6 इलायची हरे रूमाल में लपेटकर अपने पास रखें तथा इसके पश्चात एक इलायची व तुलसी पत्र का सेवन करना शुभ रहेगा।