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कुत्ता पालने के फायदें और नुकसान, जानिए क्या कहता है ज्योतिष

आजकल कुत्ता पालना एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। हम भले ही अपने गली मोहल्ले के कुत्ते को रोटी न डालते हों, लेकिन कुत्ता पालने की चाहत रखते हैं। ज्योतिष में कुत्ता पालने को लेकर कई दृष्टिकोण दिए गए हैं। आईए जानते हैं कि कुत्ता पालना कितना सही है और कितना गलत।

कुत्ता पालने के फायदें

कुत्ते को हिन्दू धर्म में यमराज का दूत कहा गया है। कुत्ते को कालभैरव का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और अचानक आए संकटों से कालभैरव भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है।

कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर दूर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को पौराणिक ग्रंथों में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।

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माना जाता है कि काला कुत्ता जहां होता है वहां नकारात्मक उर्जा नहीं रहती। इसका कारण यह है कि काले कुत्ते पर एक साथ दो शक्तिशाली ग्रह शनि और केतु के प्रभाव होता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए बताए गए खास उपायों में से एक उपाय है घर में काला कुत्ता पालना है। जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि अति प्रसन्न होते हैं। कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित दोषों का भी निवारण हो जाता है।

कुत्ता काला या काला-सफेद होना चाहिए लेकिन इस बात का घ्यान रखें कि उस कुत्ते के नाखुनों की संख्या 22 या इससे ज्यादा होनी चाहिए। इतने नाखुनों वाला कुत्ता केतु का रूप माना जाता है। ऐसा कुत्ता ही आपकी किस्मत बदल सकता है।

काला कुत्ता पालने से आपका रूका हुआ पैसा वापस आने लग जाता है। अचानक आने वाले संकट से मुक्ति मिलती है। आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। पेट की बीमारियां, जोड़ों के दर्द और अन्य बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है। प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए भी काला कुत्ता पाला जाता है। बिजनेस और कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति के लिए काला कुत्ता मददगार साबित होता है।

कुत्ता पालने के नुकसान

कुत्ते के भौंकने और रोने को अपशकुन माना जाता है। सूत्र-ग्रंथों में भी श्वान को अपवित्र माना गया है। इसके स्पर्श व दृष्टि से भोजन अपवित्र हो जाता है। अपशकुन शास्त्र के अनुसार श्वान का गृह के चारों ओर घूमते हुए क्रंदन करना अपशकुन या अद्‍भुत घटना कहा गया है और इसे इन्द्र से संबंधित भय माना गया है। शुभ कार्य के समय यदि कुत्ता मार्ग रोकता है तो विषमता तथा अनिश्चय प्रकट होते हैं।

कहते हैं जहां कुत्ता होता हैं वहां देव आत्माएं नहीं आती हैं। पूजा पाठ सब व्यर्थ हो जाते हैं। कुत्ते का घर में होना अर्थात यमदूत का घर में होना बताया गया है। कहते हैं कि कुत्ता जिस भी घर में होता है या तो वह घर बर्बाद हो जाता है या फिर उस घर की तरक्की दिन दूनी और रात चौगुनी होती है। ऋग्वेद में एक स्थान पर जघन्य शब्द करने वाले स्वानों का उल्लेख मिलता है, जो विनाश के लिए आते हैं।

कुत्ता यदि घर में है तो जिसने में कुत्ता पाला है उसे उसकी देखभाल बच्चों की तरह करना होती है। समय पर भोजन कराना और समय पर पोट्टी करवाया आदि सभी कार्य के अलावा उसका विशेष ध्यान रखने में समय की बर्बादी होती है। साथ ही घर में कुत्ते के बार जहां तहां बिखरे होते हैं। इसके अलवा जहां कुत्ता रहता हैं वहां बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। मांसाहारी प्राणी होने के कारण कुत्ते में संक्रमण बहुत जल्दी से फैलता है। इसलिए जहां कुत्ता होता है वहां बहुत ज्यादा साफ सफाई रखने की जरूरत होती है अन्यथा घर के लोग भी संक्रमित हो सकते हैं।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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