Shani-Mangal Yuti : ज्योतिष शास्त्र अनुसार (Shani-Mangal Yuti) हर ग्रह का स्थान परिवर्तन, उदय, अस्त, मार्गी और वक्री (Shani-Mangal Yuti) सभी 12 राशियों पर अपना प्रभाव डालता है। सभी 9 ग्रह अपने स्थान में एक निश्चित अवधि के बाद परिवर्तन करते हैं, कई बार जब एक या एक से अधिक ग्रह एक-साथ कुंडली के किसी भाव में उपस्थित होते हैं, तो ग्रहों की ये स्थिति ही युति कहलाती है और इसका प्रभाव मानव जीवन पर व्यापक रूप से पड़ता है।
Shani-Mangal Yuti
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक दो शत्रु ग्रह लाल ग्रह मंगल और कर्मफल दाता शनि 29 अप्रैल से 17 मई तक एक ही राशि में उपस्थित रहकर युति बनाएंगे। 29 अप्रैल 2022 की सुबह 09 बजकर 57 मिनट पर शनि अपनी स्वराशि कुंभ राशि में गोचर कर गए हैं। लेकिन यहां पहले से मौजूद मंगल के साथ मिलन होगा। इसी के साथ मंगल-शनि की इस युति से “द्वंद्व योग” का निर्माण होगा, जो अशुभ योग माना गया है।
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वैदिक ज्योतिष में शनि का मंगल के साथ युति करना कई मायनों में महत्वपूर्ण रहेगा। चूंकि शनि और मंगल दोनों ही शत्रु ग्रह है और अब उनकी युति से बनने वाला द्वंद्व योग कई राशियों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने का कार्य करेगा।
इनके लिए खतरनाक हैं मंगल-शनि की युति
मंगल-शनि की युति से बनने वाले “द्वंद्व योग” का प्रभाव सभी बारह राशियों पर पड़ता हुआ दिख रहा है लेकिन तीन ऐसी राशियां हैं जिनके जातकों को इस युति के दौरान अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होगी। आइये डालते हैं उन राशियों पर भी एक नज़र:-
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कर्क राशि: इस राशि के अष्टम भाव में शनि-मंगल की युति बनेगी। जिसके कारण जातकों के ऊपर दुर्घटना का खतरा बना रहेगा। चूंकि अष्टम भाव आयु, खतरा और दुर्घटना का भाव होता है। इसके साथ ही कार्यस्थल पर कोई भी जोखिम लेने से बचें और केवल अपने काम पर ही ध्यान दें। अष्टम भाव में युति का बनना शुभ संकेत नहीं है। इस समय किसी भी प्रकार की अनहोनी होने का संकेत है।
कन्या राशि: इस राशि के छठे अर्थात ऋण, शत्रु, स्वास्थ्य, व्यवसाय और कठिन परिश्रम के भाव में शनि-मंगल युति करेंगे। इस दौरान जातकों को अपने सेहत के प्रति बेहद सतर्क रहना होगा, इसके साथ ही अपने खानपान पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी। शनि-मंगल की युति से स्वास्थ्य में गिरावट के साथ ही अपने इलाज पर अपने धन का एक बड़ा भाग भी ख़र्च करना पड़ सकता है। 50 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले जातकों को उन कार्यों से बचना चाहिए जिनसे उन्हें जल्दी थकान होती है।
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कुंभ राशि: शनि-मंगल की इस युति के कारण कुंभ राशि के जातकों को सबसे अधिक सावधान रहने की ज़रूरत होगी। इस दौरान जातकों को नकारात्मक विचारों से घिरे होने की संभवना है। स्वभाव में क्रोध, चिढ़चिड़ापन और अहंकार का प्रभाव देखने को मिल सकता है। निजी जीवन के साथ कार्यस्थल पर संभल कर रहना होगा। इस दौरान जीवनसाथी और सहकर्मी के साथ विवाद या झगड़ा होने की आशंका अधिक रहेगी, जिसके चलते उनकी छवि प्रभावित हो सकती है।
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मंगल-शनि की अशुभ युति के लिए उपाय
जातकों को प्रत्येक मंगलवार के दिन बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए।
जातकों को शनि और मंगल से जुड़ी वस्तुओं का दान भी करना चाहिए।
शनि और मंगल ग्रहों की शान्ति हेतु उनके मंत्रों का जाप करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
शनि ग्रह और मंगल ग्रह दोष को दूर करने के लिए यज्ञ भी करना फलदायी साबित हो सकता है।
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