kalyanji temple

यहां पर अलग अवतार में यहां विराजमान हैं मां लक्ष्मी kalyanji temple

kalyanji temple : राजस्थान के सीकर शहर का श्रीकल्याणजी (kalyanji temple) का मंदिर सोमवार को 100 साल का हो जाएगा। (kalyanji temple) इस उपलक्ष्य में यहां तीन दिवसीय पाटोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यज्ञों की आहुतियों के बीच सोमवार को मंदिर में महाआरती का आयोजन हुआ। यह देश का अपने आप में अनोखा मंदिर है। इसके महात्म्य की चर्चा सरहदों तक सीमित नहीं। मंदिर में भगवान विष्णु डिग्गी के कल्याणपुरा की प्रतिमूर्ति के रूप में बसते हैं। यहां मां लक्ष्मी ने भी अपना मंदिर राव राजा को स्वपन में दर्शन देकर अलग से बनवाया था।

kalyanji temple in Rajsthan

kalyanji temple
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पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होने पर बना मंदिर

कल्याणजी के मंदिर का संबंध डिग्गी के कल्याणजी के मंदिर व रावराजा कल्याण सिंह दोनों से है। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार राजा वलाब सिंह डिग्गी के कल्याणजी के परम भक्त थे। उनसे उन्होंने पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की थी। जो पूरी हुई तो उन्होंने अपने बेटे (सीकर के अंतिम शासक) का नाम भी कल्याणजी भगवान की तर्ज पर कल्याण ही रखा। बड़ा होने पर राजा ने बेटे कल्याण के राजा बनने की कामना भी डिग्गी के कल्याणजी भगवान से ही की। जो पूरी होने पर उन्होंने 1922 में सीकर में ही उनका मंदिर बनवाकर उसमें डिग्गी के कल्याणजी की प्रतिमूर्ति स्थापित की।

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kalyanji temple
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मां लक्ष्मी ने मांगा अलग मंदिर, सुबह उठते ही हो जाती है अलग

श्रीकल्याण के मंदिर में मां लक्ष्मी का मंदिर अलग होने की भी रोचक कथा है। मंदिर के महंत विष्णु प्रसाद शर्मा ने बताया कि मंदिर में शुरु में केवल भगवान विष्णु ही कल्याणजी के रूप में विराजित थे। लेकिन, मंदिर निर्माण के कुछ समय बाद ही मां लक्ष्मी राजा कल्याण जी के सपने में आई। जिन्होंने मंदिर में अपनी अलग मूर्ति स्थापित करने के निर्देश राजा को दिए।

इस पर कल्याणसिंह ने अलग से मंदिर बनवाकर मां लक्ष्मी की मूर्ति उसमें विराजित की। मंदिर में अब भी मान्यता है कि मां लक्ष्मी केवल शयन के समय ही भगवान विष्णु के साथ होती है। सुबह उठते ही वह अपने मंदिर में चली जाती है। इस मान्यता की वजह से मंदिर में अब भी सुबह 4.30 बजे पहले मां लक्ष्मी को जगाने के लिए आरती की परंपरा है।

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राजा के नाम से होती है आरती

मंदिर बनने के बाद से ही राजा कल्याण सिंह यहां सुबह व शाम की आरती में पहुंचने लगे। जिसका क्रम उनकी मृत्यु तक जारी रहा। उनकी इसी परंपरा के चलते कल्याणजी के मंदिर में आज भी सुबह की आरती राजा आरती के नाम से ही होती है। जिसमें काफी लोग पहुंचते हैं।

kalyanji temple
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