Health Tips : प्लास्टिक की (Health Tips) चीजें देखने में सुंदर होने के साथ लाने और ले जाने में आसान होती हैं। लेकिन कभी (Health Tips) आपने सोचा है कि ये चीजें आपके शरीर को कितना नुकसान पहुंचा सकती हैं। जी हां, एक नए अध्ययन की मानें तो, रोज़मर्रा के प्लास्टिक उत्पाद जैसे कि एक सिंगल-यूज़ कॉफी कप भी पानी के संपर्क में आने पर खरबों सूक्ष्म कणों को छोड़ते हैं। इतना ही नहीं प्लास्टिक की थैलियों और सोडा की बोतलों जैसे प्लास्टिक प्रदूषण अपने आप में एक समस्या है क्योंकि ये हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनते जा रहे हैं।
Health Tips in hindi
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लेकिन वैज्ञानिक इसे लेकर चिंतित हैं कि क्या होता है जब प्लास्टिक के छोटे -छोटे कण आपके शरीर में जाते हैं और फिर कैमिकल रिएक्शन के जरिए कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा भी प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर यह अध्ययन बहुत कुछ कहता है, आइए जानते हैं विस्तार से।
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प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर क्या कहता है ये स्टडी?
राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसटी) ने इन सूक्ष्म प्लास्टिक (microscopic plastics) को बेहतर ढंग से समझने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ उपभोक्ता उत्पादों का विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि जब प्लास्टिक उत्पादों को गर्म पानी के संपर्क में लाया जाता है, तो वे प्रति लीटर खरबों नैनोकणों को पानी में छोड़ देते हैं। एनआईएसटी शोधकर्ताओं ने वैज्ञानिक पत्रिका पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए।
प्लास्टिक के नुकसानों से जुड़े इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हम जहां भी देखते हैं वहां प्लास्टिक के कण होते हैं। लगभग ट्रिलियन प्रति लीटर। दरअसल, प्लास्टिक सामग्री कई प्रकार की होती है, लेकिन वे सभी पॉलिमर, प्राकृतिक या मानव निर्मित पदार्थों से बने होते हैं जो एक साथ जुड़े बड़े अणुओं से बने होते हैं। वैज्ञानिकों ने महासागरों और कई अन्य वातावरणों में इन बड़े प्लास्टिक से सूक्ष्म कण पाए हैं। शोधकर्ता उन्हें दो समूहों में वर्गीकृत करते हैं: सूक्ष्म और नैनोप्लास्टिक्स।
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माइक्रोप्लास्टिक को आमतौर पर लंबाई में 5 मिलीमीटर से छोटा माना जाता है और इसे नग्न आंखों से देखा जा सकता है, जबकि नैनोप्लास्टिक एक मीटर (एक माइक्रोमीटर) के दस लाखवें हिस्से से भी छोटा होता है और अधिकांश को मानक माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कुछ पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) बेबी बोतलें और नायलॉन प्लास्टिक टी बैग, इन प्लास्टिक कणों को आसपास के पानी में छोड़ देते हैं।
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प्लास्टिक के नुकसान (Plastic side effect)
इस तरह इन तमाम प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल करने से शरीर को कई नुकसान हो सकते हैं। जैसे कि पहले तो ये शरीर में हार्मोनल गड़बड़ियों का कारण बनते हैं, फिर न्यूरो से जुड़ी समस्याओं का और उसके बाद इनफर्टिलिटी का कारण भी बनते हैं। इसके अधिक खतरनाक बात ये है कि ये हमारे फेफड़ों को कुछ ऐसे नुकसान पहुंचाते हैं जिनके बारे में हमें पता भी नहीं चलता और बाद ये किसी बड़ी बीमारी का कारण बन जाते हैं। जैसे कि कैंसर। इसके अलावा प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा लाइलाज एलर्जी का भी कारण बनते हैं।
तो, कोशिश करें कि अपने घर में या इस्तेमाल में कम से कम प्लास्टिक की चीजों को शामिल करें। इसके अलावा खासतौर पर खाने-पीने की चीजों को प्लास्टिक बैग में ना रखें क्योंकि इससे आपके शरीर को ज्यादा नुकसान हो सकता है।
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