Gajakesari Yog

राजा जैसा सुख और सम्मान दिलाता है यह योग Gajakesari Yog

Gajakesari Yog : वैदिक ज्योतिष (Gajakesari Yog) अनुसार जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसकी जन्मकुंडली (Gajakesari Yog) में कही शुभ और अशुभ ग्रहों का योग बनता है। दरअसल जब दो या उससे अधिक ग्रह एक ही भाव में विराजमान हो जाते हैं। तो वह योग बनाते हैं। इन योगों का प्रभाव उस व्यक्ति के ऊपर जीवन भर रहता है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं गजकेसरी योग के बारे में। जिसका निर्माण भाग्यशाली लोगों की कुंडली में होता है।

दरअसल जब गुरु और चंद्र ग्रह कुंडली के एक ही स्थान में एक साथ विराजमान हो जाते हैं। तो यह योग बनता है। यह योग मनुष्य को नाम और शौहरत दोनों दिलाता है। आइए जानते हैं इस योग के बारे में विस्तृत जानकारी…

Gajakesari Yog in Kundli

Gajakesari Yog
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ऐसे होता है गजकेसरी योग का निर्माण
कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण गुरु और चंद्रमा की युति से होता है। यानि जब बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा कुंडली में एक ही स्थान में विराजमान होते हैं, तो गजकेसरी योग बनता है। गुरु को वैदिक ज्योतिष में शुभ ग्रह माना गया है। साथ ही इन्हें देवताओं का गुरु होने का भी गौरव प्राप्त है वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। यह मनुष्य को शीतलता प्रदान करते हैं।

– व्यक्ति को करियर में काफी ऊचाईयां देखने को मिलती है। वह जिस भी फील्ड में जाता है, वहां पर नाम कमाता है।

– इस योग के होने से इंसान की सारी महत्वाकांक्षाएं पूरी होती है। साथ ही वह समाज में प्रतिष्ठा पाता है।

Gajakesari Yog
Gajakesari Yog

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– धन-संपत्ति बढ़ती है, सन्तान का सुख, घर खरीदने का सुख, वाहन सुख इत्यादि सुख प्राप्त होते हैं।

– गजकेसरी योग से जातक को राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।

गजकेसरी योग कब शुभ फल प्रदान करता है?
गजकेसरी योग जन्मकुंडली में होने के बाद भी कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है जब यह योग मनुष्य को पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पाता। ऐसा तभी संभव होता है जब इस योग को राहु या किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ जाए। राहु की दृष्टि से इस योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

इसके साथ ही जब कुंडली में चंद्रमा और गुरु की स्थिति कमजोर होती है तो भी गजकेसरी योग का पूर्ण फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता। या फिर कुंडली में गुरु नीच का और चद्रमा नीच का विराजमान हो तो भी इस योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

Gajakesari Yog
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