Akshaya Tritiya 2022

कब है अक्षय तृतीया, जाने शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा Akshaya Tritiya 2022

Akshaya Tritiya 2022 : अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पर्व बेहद ही शुभ और पावन पर्व माना जाता है। यह पर्व (Akshaya Tritiya) बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस पर को कुछ प्रदेशों में अखा तीज भी कहते हैं। यह पर्व हिन्दू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए बेहद ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन होता है। अक्षय शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो’। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यदि व्यक्ति दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करे तो इससे मिलने वाले शुभ फलों की कमी क्षय अर्थात कमी नहीं होती है।

Akshaya Tritiya 2022

Akshaya Tritiya 2022
Akshaya Tritiya 2022

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इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन विशेषतौर पर सोने के गहने खरीदने की भी मान्यता है। कहा जाता है अक्षय तृतीया के दिन यदि सोना खरीदा जाये तो इससे व्यक्ति के जीवन पर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद, सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

अक्षय तृतीया का मुहूर्त

अक्षय तृतीया हिंदू धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व रखती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। इस साल अक्षय तृतीया 03 मई 2022 (मंगलवार) को पड़ रही है।

तृतीया तिथि आरंभ- 3 मई सुबह 5 बजकर 19 मिनट से शुरू।
तृतीया तिथि समाप्त- 4 मई सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक।
रोहिणी नक्षत्र- 3 मई सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक।

अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदते हैं सोना
साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना आने वाली पीढ़ियों के साथ बढ़ता चला जाता है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सूरज की किरणों में काफी तेज होता है। सूर्य का संबंध सोने के चलते इस दिन सोना खरीदना शक्ति और ताकत का प्रतीक माना जाता है। सोने की कीमतों में इजाफा होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि अक्षय तृतीया आने वाली है और इस लोग सोने की खरीद करते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर खरीदे गए सोने में वृद्धि होती है।

Akshaya Tritiya 2022
Akshaya Tritiya 2022

अक्षय तृतीया व्रत व पूजन विधि
इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए की वह सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण करें अपने घर के मंदिर में विष्णु जी को गंगाजल से शुद्ध करके तुलसी, पीले फूलों की माला या पीले पुष्प अर्पित करें। फिर धूप-अगरबत्ती, ज्योत जलाकर पीले आसन पर बैठकर विष्णु जी से सम्बंधित पाठ (विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा) पढ़ने के बाद अंत में विष्णु जी की आरती पढ़ें।साथ ही इस दिन विष्णु जी के नाम से गरीबों को खिलाना या दान देना अत्यंत पुण्य-फलदायी होता है। अगर पूर्ण व्रत रखना संभव न हो तो पीला मीठा हलवा, केला, पीले मीठे चावल बनाकर खा सकते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव अवतार हुए थे। इसलिए मान्यतानुसार कुछ लोग नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव जी के लिए जौ या गेहूँ का सत्तू, कोमल ककड़ी व भीगी चने की दाल भोग के रूप में अर्पित करते हैं।

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अक्षय तृतीया कथा
हिन्दू पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दानादि करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।

प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया। यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था।

अक्षय तृतीया महत्व
अक्षय तृतीया का दिन साल के उन साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है जो सबसे शुभ माने जाते हैं। इस दिन अधिकांश शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी माहात्म्य बताया गया है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है। इस दिन पितृ श्राद्ध करने का भी विधान है। जौ, गेहूँ, चने, सत्तू, दही-चावल, दूध से बने पदार्थ आदि सामग्री का दान अपने पितरों (पूर्वजों) के नाम से करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।

Akshaya Tritiya 2022
Akshaya Tritiya 2022

इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण करना बहुत शुभ होता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सोना ख़रीदना इस दिन शुभ होता है। इसी तिथि को परशुराम व हयग्रीव अवतार हुए थे। त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि को हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी के कपाट खुलते हैं।

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