इस वर्ष शुभ ग्रहों का तालमेल ठीक न होने के कारण विवाह के शुभ मुहूर्त 12 दिसंबर 2020 से लेकर 24 अप्रैल 2021 तक उपलब्ध नहीं हैं। विवाह की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने वालों के लिए शुभ समाचार लेकर आया है इस साल का बसंत। इस दिन अर्थात 16 फरवरी को दूल्हे घोड़ी चढ़ सकेंगे। दुल्हनें डोली पर सवार हो सकेंगी।
16 फरवरी को बसंत पंचमी पर ज्योतिष के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवियोग एक साथ हैं और मंगलकारी दिन मंगलवार भी है। इसके अलावा मकर राशि में 4 ग्रह- गुरु, शनि,शुक्र तथा बुध एक साथ होंगे तथा मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे और यह सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त:
बसंत पंचमी के दिन आपको माता सरस्वती की पूजा के लिए कुल 05 घंटे 47 मिनट का समय मिलेगा। आपको इसके मध्य ही सरस्वती पूजा करनी चाहिए। 16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का मुहूर्त बन रहा है।
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क्या क्या कर सकते हैं बसंत पंचमी पर ?
सगाई या विवाह कर सकते हैं।
नया कारोबार आरंभ कर सकते हैं।
गृह प्रवेश, मकान की नींव डाल सकते हैं।
नया वाहन, बर्तन, सोना, घर, नए वस्त्र, आभूषण, वाद्य यंत्र, म्युजिक सिस्टम आदि खरीदने का शुभ दिन है।
किसी नए कोर्स में एडमिशन, विदेश जाने के लिए आवेदन या संबंधित परीक्षा ।
लांग टर्म इन्वेस्टमेंट, दीर्घकालीन निवेश, बीमा पालिसी, बैंक खाता आदि।
कोई नवीन कार्य आरंभ करें, शिक्षा या संगीत से संबंधित,
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क्यों खास है बसंत पंचमी ?
— बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार तो इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है और शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।
— बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
— 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है।
— चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।
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— गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।
— इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं।
— बसंत पंचमी के दिन पेन, काॅपी, किताबों की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं। भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है। अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं।
कैसे करें बसंत पंचमी पूजा ?
प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं। फिर माता का श्रंगार कराएं माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं। श्वेत फूल माता को अर्पण किये जा सकते हैं। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।
— संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना कर सकते हैं व मां को बांसुरी भेंट कर सकते हैं।
— देवी सरस्वती के इस मन्त्र का जाप करने से ‘‘श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” असीम पुण्य मिलता है।