Airavatesvara Temple: तमिलनाडु में कुंभकोणम के पास दारासुरम (Airavatesvara Temple) में स्थित है ‘एरावतेश्वर मंदिर (Airavatesvara Temple)’. यह मंदिर यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर घोषित है. यह हिंदू मंदिर है, (Airavatesvara Temple) जिसे दक्षिणी भारत में 12वीं सदी में बनाया गया था. ऐरावतेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. भगवान शिव को यहां ऐरावतेश्वर के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी एरावत द्वारा भगवान शिव की पूजा की गई थी.
Airavatesvara Temple
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां की सीढ़ियों से संगीत की धुन निकलती है, जिस वजह से ये मंदिर काफी अलग है. मंदिर का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि ये प्राचीन वास्तुक्ला के लिए भी प्रसिद्ध है. मंदिर की आकृति और दीवारों पर उकरे गए चित्र लोगों को काफी आकर्षित करते हैं.
द्रविड़ शैली में मंदिर
इस मंदिर को द्रविड़ शैली में भी बनाया गया था. प्राचीन मंदिर में आपको रथ की संरचना भी दिख जाएगी और वैदिक और पौराणिक देवता इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना के चित्र यहां मौजूद हैं.
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सीढ़ियों से निकलता है संगीत
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां की सीढ़ियां हैं. मंदिर के एंट्री वाले द्वार पर एक पत्थर की सीढ़ी बनी हुई है, जिसके हर कदम पर अलग-अलग ध्वनि निकलती है. इन सीढ़ियों के माध्यम से आप आप संगीत के सातों सुर सुन सकते है. आप सीढ़ियों पर चलेंगे तब भी आपको धुन सुनने को मिल जाएंगे.
मंदिर को लेकर यह कथा है फेमस
मान्यता है कि ऐरावत हाथी सफेद था, लेकिन ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण हाथी का रंग बदल गया. इससे वह काफी दुखी था. उसने इस मंदिर के पवित्र जल में स्नान करके सफेद रंग दोबारा प्राप्त किया. मंदिर में कई शिलालेख हैं. गोपुरा के पास एक अन्य शिलालेख से पता चलता है कि एक आकृति कल्याणी से लाई गई, जिसे बाद में राजाधिराज चोल प्रथम द्वारा कल्याणपुरा नाम दिया गया.
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