Chaitra Purnima 2022 Date, Time, Puja Vidhi, Vrat Vidhi : सनातन संस्कृति के अनुसार चैत्र का महीना हिंदू नव वर्ष का (Chaitra Purnima) प्रथम माह होता है। चैत्र माह 19 मार्च 2022 चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से शुरु हो चुका है, जो 16 अप्रैल 2022 तक रहेगा। आपको बता दें कि चैत्र माह का नाम चित्रा नक्षत्र के नाम से पड़ा है। चैत्र पूर्णिमा की रात्री में चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विधान है। हिन्दू धर्म के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर विधि अनुसार व्रत करने से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Chaitra Purnima 2022
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मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा पर विधि अनुसार व्रत रखकर देवी देवताओं की पूजा करने से कभी भी धन संबंधित परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।अगर आप भी पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं तो यहां जानें व्रत विधि।
चैत्र पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त (Chaitra Purnima 2022 Date And Shubh Muhurat)
चैत्र पूर्णिमा तिथि: 16 अप्रैल 2022, शनिवार
पूर्णिमा पर चांद का समय: 16 अप्रैल शनिवार शाम 6:27
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल, शनिवार सुबह 2:25
पूर्णिमा तिथि समापन: 17 अप्रैल सुबह 12:24
सूर्योदय का समय: सुबह 05:55 बजे
सूर्यास्त का समय: शाम 06:47 बजे
भद्रा: सुबह 05:55 से दोपहर 01:28 तक
राहुकाल: सुबह 09:08 से सुबह 10:45 तक
चैत्र पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए, इसके अलावा इस दिन दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन भक्तों को भगवान सत्य नारायण का पूजन करना चाहिए और साथ ही गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए। चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-
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चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रातः चैत्र पूर्णिमा के दिन नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर सूर्योदय से पूर्व अगर संभव है तो इस दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। अगर आप पवित्र नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो अपने स्नान करने के जल में गंगाजल जरूर मिला लें और व्रत का संकल्प लें।
स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्य नारायण की पूजा करनी चाहिए और साथ ही पूरा दिन व्रत रखें और रात में चंद्र देव के दर्शन और विधि पूर्वक पूजा करने के बाद उन्हें अर्घ्य यानि जल अर्पण करना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।
इस दिन दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए मान्यतानुसार पूजन के बाद व्रती को कच्चे अन्न से भरा हुआ घड़ा किसी ज़रुरतमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए। साथ ही चैत्र पूर्णिमा जैसी भाग्यशाली तिथि पर महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना विशेष लाभकारी और उत्तम माना गया है।
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