Krishna Janmashtami
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Krishna Janmashtami: ऐसे मनाएं जन्माष्टमी तो होगा फायदा

Krishna Janmashtami 2022 : जन्माष्टमी के दिन झांकी सजाने का प्रावधान है. दरअसल ये श्रीकृष्ण (Krishna Janmashtami) के जीवन की घटनाओं को स्मरण करने का दिन है. यह आसुरी प्रवृत्ति का शमन करने के लिए सुरीय शक्ति के जन्म का दिन है. (Krishna Janmashtami) यानी निगेटिव को समाप्त करने के लिए पॉजिटिव का आना. बच्चे और बड़े बहुत ही उत्साह के साथ झांकी सजाते हैं तो चलिए जानते हैं कि झांकी सजाने में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-

Krishna Janmashtami 2022

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झांकी सजाएं तो रखें पूरे दिन का उपवास

जो लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर झांकी सजाते हैं उनको पूरा दिन व्रत रखते हुए उत्सव की तैयारी करनी चाहिए. इस दिन केले के पेड़ के तने, आम या अशोक के पेड़ की पत्तियों आदि से घर के दरवाजों को सजाना चाहिए और दरवाजे पर मंगल कलश स्थापित करना चाहिए.

भूलकर न लगाएं कांटेदार पेड़ों के पत्ते

झांकी में कांटेदार पेड़ों के पत्तों का उपयोग भूल कर भी नहीं करना चाहिए. कैक्टस आदि का प्रयोग भी कतई नहीं करना चाहिए. आम और अशोक की डालियों व पत्तों का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए.

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दूध वाले पेड़ों के पत्ते भी हैं वर्जित

जिन पेड़ों से दूध निकलता है, उनके पत्तों का भी प्रयोग न करें जैसे रबर प्लांट, श्वेतार्क आदि. हानिकारक, सिंथेटिक एवं ज्वलनशील वस्तुओं का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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– बांसुरी को गोटे से सजाएं, मोर पंख को कतई न भूलें
– झांकी में मोर पंख का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए.
– बांसुरी को गोटे से सजाकर झांकी में प्रमुख स्थान देना चाहिए.
– गाय का दूध पीते हुए बछड़े का चित्र या कृतियां जरूर लगाएं.
– श्रीकृष्ण के जन्म का वातावरण भी दर्शाना चाहिए. बालपन, युवा और गीता ज्ञान तक की अवस्थाओं का चित्रण अवश्य होना चाहिए. चित्रण में विराट स्वरूप ही दिखाना चाहिए अन्य महाभारत के युद्ध का दृश्य नहीं.

ध्यान रखें छह दिन तक सजी रहे झांकी, रोज करें आरती
– झांकी 6 दिन तक बनी रहनी चाहिए और रोज आरती करनी चाहिए. छठे दिन लड्डू गोपाल की छठी मनाकर ही झांकी का विसर्जन करना चाहिए.
– श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर पकवान, पंचामृत एवं पंजीरी बनाने की परंपरा है. यदि संभव हो तो मक्खन मिश्री का भी भोग लगाना चाहिए.

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खीरे के रूप में काटा जाता है नाड़ा

ऐसी मान्यता है कि दिन में भगवान की मूर्ति के सामने बैठकर पवित्र भाव से कीर्तन करने से मनोकामना पूरी होती है. भगवान का गुणगान करते हुए रात्रि को बारह बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रति स्वरूप खीरे का नाड़ा काट कर भगवान का जन्म कराया जाता है. इसके बाद कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. जन्मोत्सव के पश्चात् कपूर आदि प्रज्ज्वलित कर भगवान की आरती-स्तुति करने के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए.

संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

जिन दंपत्तियों के घर में अभी तक बच्चों की किलकारियां नहीं गूंजी, उन्हें श्रीकृष्ण की भक्ति से लाभ होता है. श्रीकृष्ण का जाप, जन्माष्टमी व्रत, एकादशी व्रत दंपत्ति को करना चाहिए.

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