Machhmani : कलयुग में सभी कष्टों को दूर करती है मच्छमणि

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कलयुग में सभी कष्टों को दूर करती है मच्छमणि

मच्छमणि राहु की दशा में रामबाण का काम करती है। राहु एक ऐसा ग्रह है जब देने पर आता है तो इस कदर देता है कि आप सोच भी नहीं सकते और जब लेने पर आता है तो इंसान की जिंदगी से सब कुछ छीन लेता है।

राहु फायदेमंद कैसे हो
मच्छमणि धारण करें। सीधे हाथ की शनि की उंगली में मच्छमणि धारण करनी चाहिए। महिलाएं इसे लॉकेट में धारण करें।

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SKU: GMM07 Category: Tags: A mosquito removes all the troubles in Kalyug, Machhmani, मच्छमाणि, मच्छमाणि का महत्व

Description

आइए जानते हैं मच्छमाणि का महत्व

वाल्मीकि रामायण के अध्याय 631 में आपने पढ़ा होगा या सुना होगा कि जब हनुमान जी लंका जला कर बाहर आये तो वो काफी तप रहे थे और उनके शरीर के ताप से पसीना बहने लगा। उस पसीने की एक बूंद मछली के मुँह में जा गिरी और उस मछली से एक पुत्र पैदा हुआ, जिसका नाम मकरध्वज था।

जब पाताल के राजा अहिरावण ने जब उस मछली को कटवाने के लिए मंगाया तो उस मछली के गर्भ से एक ताकतवर और वानर रूपी मकरध्वज हुए थे। उनके तन पर वस्त्र नहीं थे, बस हाथ में एक पत्थर था।

जब अहिरावण ने उनसे पूछा कि आप मछली के गर्भ में कैसे आये यह आपके हाथ में पत्थर कैसा है तो मकरध्वज ने जवाब दिया कि ये मेरी माँ के सिर का पत्थर है। फिर अहिरावण ने मकरध्वज से उनकी माँ का दुःख जताते हुए उनसे माफ़ी मांगी और उन्हें अपना सेनापति बना लिया।

इसके बाद अहिरावण ने जब लंकापति रावण के कहने पर श्रीराम और लक्ष्मण जी को निंद्रा में हरण कर लिया। जब हनुमान जी पाताल पहुंचे और सबसे पहले उनका उनके बेटे मकरध्वज से युद्ध हुआ और मकरध्वज को युद्ध में हराया।

मकरध्वज ने अपना परिचय दिया, जिसके बाद हनुमान जी ने मकरध्वज को अपने गले से लगा लिया और और श्रीराम को अपने बेटे मकरध्वज से मिलवाया।

फिर श्रीराम जी मकरध्वज को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि कलयुग में जो मच्छमाणि को धारण करेगा उसके सब कष्ट दूर हो जायँगे, क्योंकि कलयुग में ज्यादातर लोग राहु और सूर्य की दशा से परेशान रहेंगे। यह पत्थर (मच्छमाणि) उनकी सहायता करेगी।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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