Kaal Sarp Dosh Benefits: ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का उल्लेख नहीं है. यह पिछले 100 सालों में विशेष रूप से प्रचलन में आया है. देखा गया है कि इस योग के कारण व्यक्ति को (Kaal Sarp Dosh) जीवन में विभिन्न प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट बिना किसी विशेष कारण के ही झेलने पड़ते हैं. व्यक्ति को इस योग की विपरीत स्थिति के कारण अपने परिश्रम का फल नहीं मिलता और अनेक दुख झेलने पड़ते हैं. लेकिन ये भी देखा गया है कि अगर व्यक्ति की कुंडली में राहु की स्थिति अनुकूल हो तो कालसर्प दोष अप्रत्याशित प्रगति भी देता है.
Kaal Sarp Dosh Benefits
इन हस्तियों की कुंडली में है कालसर्प दोष
कालसर्प दोष व्यक्ति में जीवटता, संघर्षशीलता और अन्याय के प्रति लड़ने के लिए अदम्य साहस प्रदान करता है. आध्यात्मिक महापुरुषों और राजनीति में ऊंचाई में पहुंचे लोगों को यह योग विशेष लोकप्रियता देता है. जीवन के विभिन्न क्षेत्रों- व्यवसाय, कला, साहित्य, खेल, फिल्म उद्योग, राजनीति और अध्यात्म के चरमोत्कर्ष पर इस योग के व्यक्ति पहुंचे हैं.
गौतम बुद्ध, आचार्य श्रीराम शर्मा, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, ओशो रजनीश और कथावाचक मुरारी बापू जैसी विभूतियों को जहां इस योग ने आध्यात्मिकता के शिखर पर पहुंचाया वहीं, सम्राट हर्षवर्धन, अकबर, शाहजहां, महारानी विक्टोरिया, महारानी एलिजाबेथ आदि को नेतृत्व करने की अद्भुत शक्ति दी. अब्राहम लिंकन, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, गुलजारीलाल नंदा, चंद्रशेखर, इंद्रकुमार गुजराल आदि को इस योग ने राजनीति के शिखर पर स्थापित किया.
अमृता प्रीतम, मधुबाला, लता मंगेशकर, सत्यजीत रे, हृशीकेश मुखर्जी, धीरूभाई अंबानी, गोविंदा, सचिन तेंदुलकर आदि को इस योग ने अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान दिलवाया. यही नहीं स्वतंत्र भारत का जन्म भी 15 अगस्त, 1947 को कालसर्प योग में हुआ था.
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कालसर्प योग से डरने की जरूरत नहीं
इसलिए कालसर्प योग वाले लोगों को ज्यादा भयभीत और आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है. अनुभव से देखा गया है कि कालसर्प योग से ग्रसित लोग भाग्यशाली और असाधारण व्यक्तित्व के धनी भी होते हैं. उनमें जीवटता और अन्याय के प्रति लड़ने की क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है. कालसर्प योग में स्वराशि, उच्चराशि के गुरु, गजकेसरी योग, राहु की अच्छी स्थिति विशेष लाभ पहुंचाने वाली होती है.
ऊंचाइयों तक ले जाएगा कालसर्प योग
कालसर्प योग को शिवोपासना, दोष की शांति के उपाय करने और नवनाग स्तोत्र के सतत पाठ से अनूकूल बना सकते हैं. दरअसल कालसर्प योग, भयभीत होकर हिम्मत हारने और हतोत्साहित होने का योग नहीं है बल्कि जीवटता और संघर्षशीलता के जरिए परिस्थितियों को अपने अनूकूल बनाकर अपने जीवन को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने का योग है.
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