Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) दुनिया के ऐसे महानतम दार्शनिक हुए हैं, जिनकी परिवार, समाज और देश को लेकर (Chanakya Niti) कहे गए वचन आज भी उतने ही सार्थक हैं, जितने सैकड़ो साल पहले थे. उन्होंने जीवन (Chanakya Niti) में सफलता हासिल करने के लिए कई रास्ते बताए हैं, जिन पर चलकर इंसान कामयाबी हासिल कर सकता है.
वे कहते हैं कि जीवन में सफलता हासिल करनी है तो हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहो. वे कहते हैं कि वफादार जानवर कहे जाने वाले कुत्ते (Chanakya Niti on Dog) से इंसान 4 ऐसी बातें सीख सकता है, जिन्हें अपनाकर उसे श्रेष्ठ मानव बनने से कोई नहीं रोक सकता.
मालिक के प्रति बेहद वफादार
चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कुत्ता अपने मालिक के प्रति बहुत वफादार होता है. जो भी इंसान उसे रोटी डालता है, उसकी भलाई के लिए कुत्ता अपनी जान की बाजी तक लगा देता है. वह अपने जीवन को मालिक के अनुसार ही ढाल लेता है और उसी के अनुसार खाता-पीता है. इसी प्रकार इंसान को अपने जीवन में बन जाना चाहिए. उसे ईश्वर और अपने देश के प्रति वफादार होना चाहिए और वक्त के अनुसार ढल जाना चाहिए, जिससे वह कालखंड में कामयाब इंसान बन सके.
सोते समय भी चौकन्ना रहना
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में कहा गया है कि कुत्ता दुनिया का सबसे सजग रहने वाला जीव है. इंसान की तरह वह भी गहरी नींद में सोता है लेकिन जरा सी आहट होते ही तुरंत चौकन्ना हो जाता है. इस प्रकार वह खुद को और अपने मालिक को किसी बड़े खतरे से बचा लेता है. इसी तरह इंसान को भी हर पल-हल हाल में सजग रहना चाहिए और कोई भी खतरा महसूस होने पर तुरंत सावधान हो जाना चाहिए.
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संकट का डटकर सामना करना
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) कहते हैं कि कुत्ते की एक बड़ी विशेषता उसकी बहादुरी होती है. चाहे वह अकेला ही क्यों न हो, लेकिन संकट आने पर वह तनिक भी घबराता नहीं है. अगर उसके मालिक पर किसी भी तरह का संकट आता है तो उसके मुकाबले के लिए वह डटकर खड़ा हो जाता है. इसी तरह हम सबको भी किसी परेशानी से घबराना नहीं चाहिए और हर हाल में डटकर उसका सामना करना चाहिए.
जीवन में संतोषी भाव रखना
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार कुत्ता संतोषी प्रवृति का जीव होता है. उसे मालिक की ओर से दिनभर में जितना भी भोजन-पानी दे दिया जाए, वह उसमें ही संतुष्ट रहता है और पेट भर जाने पर ज्यादा की चाह में नहीं भौंकता. इसी तरह इंसान को भी भोजन और दूसरी आवश्यकताओ के प्रति संतोषी भाव रखना चाहिए. जरूरत से ज्यादा चीजों का संग्रह करने की आदत इंसान को मानसिक तनाव से भर देती है, जिससे परिवार केवल अशांति आती है और कुछ नहीं.
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