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चमत्‍कारिक मां काली के इस मंदिर में माता को लगाया जाता है नूडल्स-चॉप्‍सी का भोग : Ajab gajab

Ajab gajab : आमतौर पर मंदिरों में भगवान को लड्डू-पेड़ा, मिठाइयों का भोग लगता है और वही प्रसाद में बंटता है, लेकिन भारत देश में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां भगवान को चाइनीज फूडका भोग लगता है। इसके बाद प्रसाद में भी लोगों को नूडल्‍स और चॉप्‍सी बांटे जाते हैं। मां काली के इस मंदिर में ऐसा अनूठा प्रसाद चढ़ाए जाने की एक खास चमत्‍कारिक वजह है।

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देवी मां को भोग में नूडल्‍स-चॉप्‍सी चढ़ाए जाने वाला यह मंदिर कोलकाता के टंगरा क्षेत्र में है। यह इलाका चाइना टाउन के नाम से मशहूर है। यह मंदिर एक गली में है और तिब्बती शैली की इस ऐतिहासिक गली में पुराने कोलकाता और पूर्वी एशिया की खूबसूरत संस्कृति की एक साथ झलक मिलती है।

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दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर में देवी मां को भोग में ही चाइनीज डिशेज नहीं चढ़ाई जाती हैं, बल्कि यहां जलाई जाने वाली अगरबत्तियां भी चीनी ही होती हैं। इस तरह मंदिर के प्रसाद के अलावा यहां फैली खुशबू भी बाकी मंदिरों से अलग होती है। हालांकि इस मंदिर में पूजा-पाठ का काम एक बंगाली पुजारी करते हैं और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए यहां खास मौकों पर हाथ से बने कागज जलाए जाते हैं।

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टंगरा का यह चीनी काली मंदिर लगभग 20 साल पहले चीनी और बंगालियों दोनों लोगों के दान से बनाया गया था। मंदिर बनने से पहले इसी जगह पर पिछले 60 सालों से एक पेड़ के नीचे देवी मां की पूजा केवल हिंदुओं द्वारा ही की जाती थी। स्‍थानीय लोगों के मुताबिक कई साल पहले एक चीनी लड़का गंभीर रूप से बीमार हो गया था। 10 साल के इस लड़के पर कोई इलाज काम नहीं कर रहा है, एक दिन उसके माता-पिता ने उसे उसी पेड़ के नीचे लिटा दिया और देवी मां से प्रार्थना की। चमत्‍कारिक रूप से लड़का ठीक हो गया और इसके बाद से हिंदू समुदाय के साथ-साथ चीनी समुदाय के लिए भी यह मंदिर आस्‍था का केंद्र बन गया।

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जब चीनी लोगों ने मंदिर में आना शुरू किया तो उन्‍हें देवी मां को भोग भी अपनी संस्‍कृति के अनुसार लगाना शुरू किया। इसके बाद से ही यहां मां को भोग में नूडल्‍स, चॉप्‍सी आदि चढ़ने लगे।
चीनी लोग इस मंदिर में आते समय बाकी भक्‍तों की तरह अपने जूते बाहर उतारते हैं और फिर अंदर आकर देवी मां को प्रणाम करते हैं। हालांकि उनके प्रणाम करने का अंदाज चीन जैसा ही होता है।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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