मित्रों नमस्कार। मित्रों होली पर्व के लिए अब आठ दिन ही शेष ही रह गए हैं। आज सोमवार से होलाष्टक प्रारंभ हो गया है। होला + अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है। होलाष्टक के समय शुभ कार्य वर्जित होते है यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है। होलाष्टक फिर आठ दिनों तक रहता है और सभी शुभ मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है यह दुलहंडी पर रंग खेलकर खत्म होता है।
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होलाष्टक में न करें ये कार्य
1. विवाह: होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।
2. नामकरण एवं मुंडन संस्कार: होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।
3. भवन निर्माण : होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।
4. हवन-यज्ञ : होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।
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5. नौकरी : होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।
6. भवन, वाहन आदि की खरीदारी: संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदि न दें।
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होलाष्टक में पूजा-अर्चना की के लिए किसी भी प्रकार की मनाही नही होती। होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती आदि करें, इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
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परंतु सकाम (किसी कामना से किये जाने वाले यज्ञादि कर्म) किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते।
7.सनातन हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।
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