आखिर कब खत्म होगी कोरोना महामारी? वर्ष 2019 के अनंतिम माह में प्रारंभ हुई कोरोना माहामारी का प्रकोप वर्ष 2020 में पूरी तरह से बरकार रहा। वर्ष 2021 में भारतीय सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीन डवलप कर ली गई, तो यह भारत वासियों के लिए यह राहतभरी खबर रही कि वैक्सीन बन जाने के बाद कोरोना से भारत को राहत मिलेगी, लेकिन वर्ष 2021 में जैसे ही यह वैक्सीन लोगों को लगना शुरु हुई, वैसे ही कोरोना महामारी फिर से खड़ी हो गई।
इस समय कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। देश के अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन लगाया गया है, तो कुछ राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है। इस महामारी को लेकर भारत के लोगों में भय का वातावरण बना हुआ है, क्योंकि कोरोना के बाद ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के केस भी निकलना शुरु हो गए हैं। ब्लैक फंगस से कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
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ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर देशवासियों को कोरोना महामारी और इसके बाद उत्पन्न हुई ब्लैक फंगस व व्हाइट फंगस से कब मुक्ति मिलेगी, क्योंकि लोग इन महामारी की चपेट में तो आ ही रहे हैं, साथ ही लोगों के काम धंधे पर भी इसका विपरित प्रभाव पड़ रहा है।
आज का ज्वलंत प्रश्न- कोरोना का क्या होगा?
ज्योतिष में शनि को बीमारी, अस्पताल, दवा पर खर्चे, मृत्यु आदि से भी जोड़ा गया है। जैसे ही 2019 में गुरु- शनि का संगम हुआ, कोरोना का जन्म हो गया। ज्योतिषी एक जगह आंकलन ठीक नहीं कर पाए। गुरु, राहू के नक्षत्र में था जो धोखा देता है। लगता है काम हो गया, किन्तु राहू छल कपट या धोखे से वार करता है। यही 2021 के आरंभ में लगा कि कोरोना जा रहा है और जिंदगी पटरी पर आ रही है, परंतु राहू ने अपना असली चेहरा दिखा दिया और रुप बदल बदल कर मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता गया।
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अब कोरोना काल में आगामी 26 मई को वृश्चिक राशि में चंद्रग्रहण लग रहा है और 23 मई 2021 को शनि वक्री हो गए हैं। इससे कोरोना संक्रमण में कुछ कमी दिखाना आरंभ हो जाएगी। मान्यता है कि वक्री होने से शनि कमजोर पड़ जाते हैं। शनि महाराज 141 दिन उल्टे चलेंगे।
धनु, मकर और कुंभ वालों पर साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। 11 अक्तूबर 2021 से शनि मार्गी हो जाएंगे और 2023 तक मकर राशि में ही रहेंगे। अक्तूबर 2021 में कोरोना फिर सिर उठा सकता है। वैज्ञानिक इसे तीसरी लहर भी कह सकते हैं। भारत इस महामारी से लड़ने में पूर्ण सक्षम रहेगा। परंतु कोरोना से मुक्ति अप्रैल 2022 से मिलेगी, हालांकि इसका कमोबेश प्रभाव 2023 तक रहेगा।
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