वर्ष 2019 के सितंबर अक्टूबर माह में जिस वक्त चीन में कोरोना काल का आरंभ हुआ था तो यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था कि यह जानलेवा वायरस इतना भयंकर प्रकोप बरपाएगा कि विश्व का हर प्राणी त्राहि त्राहिमाम करेगा। वर्ष 2020 तो पूरा ही साल इस महामारी काल के प्रकोप में समा गया। अब वर्ष 2021 के प्रथम माह में जब कोरोना की वैक्सीन आई तो लोगों ने राहत की सांस ली थी। आशा जताई थी कि अब इस महामारी के प्रकोप से बचा जा सकेगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। (मई माह में मंगल मचाएगा दंगल)
दिन प्रतिदिन इस महामारी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद यह महामारी विकराल रुप धारण करती जा रही है। वर्ष 2021 में कोरोना संक्रमण में कुछ नया बदलाव आया। वर्ष 2020 में जहां लोग आक्सीजन की कमी से नहीं मर रहे थे, वहीं अब इस महामारी की चपेट में आया व्यक्ति आक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। पूरे देश में इस समय आक्सीजन गैस सिलेंडरों का अकाल सा पड़ रहा है। हालांकि कुछ देशों ने भारत की तरफ सहयोग का हाथ बढ़ाते हुए इस महामारी से निपटने में भारत की मदद की है।
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अब हम आपको बताते हैं कि यह स्थिति क्यों पैदा हुई। 13 अप्रैल 2021 को नवसंवत की शुरुआत हुई थी और तभी से ही कोरोना का संक्रमण विकराल रुप धारण करता जा रहा है। नवसंवत का राजा भी मंगल है और मंत्री भी मंगल ही है और इस संवत का नाम भी राक्षस है। जो हाहाकार मचवाता है। यह तो सभी जानते हैं कि राक्षस या असुर शक्तियों ने हमेशा से ही मानव जाति के विपरित कार्य किया है।
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अब यदि कोरोना वायरस से राहत भी मिल जाती है तो संवत 2078 के राजा और मंत्री मंगल शांत बैठने वाले ग्रह नहीं है। अब बैशाख माह प्रारंभ हो चुका है तो इसी माह की बात करते हैं। इस माह का शुभारंभ भी मंगलवार से हुआ है, और इस माह में पांच मंगलवार पड़ रहे हैं। यही नहीं मंगलवार को भी अमावस्या पड़ रही है, जिसे भौमवती अमावस्या कहते हैं। यह शुभ संकेत नहीं हैं।
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साथ में पक्ष आरंभ से ही मंगल—शनि का षडाष्टक योग बन रहा है। जो राजनीति में उथल पुथल, सत्ता परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, अग्निकांड, वाहन दुर्घटनाएं, महामारी कोरोना आदि से बहुसंख्यक जन धन की हानि होगी। महंगाई एवं कालाबाजारी का बोलबाला होगा। जनता त्रस्त होगी और जनता का विश्वास सरकारों से उठेगा। मंत्री पद पर आसीन एवं मंत्री पद प्राप्त राजनीतिज्ञों की मृत्यु के संकेत भी मिलते दिख रहे हैं। राजनीतिक पदों पर आसाीन कुछ लोगों को अपना त्यागपत्र भी देना पड़ सकता है।
हाल ही में संपन्न हुई पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने यह साबित भी कर दिया है कि दो राज्यों में तो पूरी तरह से सत्ता परिवर्तन हो गया है और शेष तीन राज्यों में भी राजा के चयन के लिए उथल पुथल मच सकती है।
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अंक ज्योतिष के हिसाब से संवत का आरंभ भी 13 अप्रैल से हुआ है। अब तेरह के 1 और 3 को जोड़ दे तो 4 आता है और अंक ज्योतिष में चार का अंक राहु का होता है। राहु और मंगल दोनों में शत्रु का भाव है तो इस साल जहां प्राकृतिक आपदाएं होंगी वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी घटित हो सकती है, जिससे देश में अशांति का माहौल पैदा होगा और कुछ ऐसी घटनाएं होगी, जिनके बारे में कहा भी नहीं जा सकता है।