Sakat Chauth 2023 Date: आज यानि 10 जनवरी 2023 को माघ महीने की पहली सकट चौथ (Sakat Chauth 2023) का व्रत रखा जाएगा। महिलाएं सकट चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान गणेश से संतान की खुशहाली और लंबी उम्र की कामना करती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत के परिणाम स्वरूप साधक को (Sakat Chauth 2023) धनलाभ, समृद्धि, बुद्धि में वृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन तिलकुट (Tilkut) भोग में करने का विशेष महत्व है, इसलिए इसे तिलकुट चतुर्थी भी कहा जाता है।
Sakat Chauth 2023 Muhurat
माघ कृष्ण सकट चतुर्थी तिथि शुरू – 10 जनवरी 2023, दोपहर 12. 09
माघ कृष्ण सकट चतुर्थी तिथि समाप्त – 11 जनवरी 2023, दोपहर 2.31
अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:13 – दोपहर 12:55
भगवान गणेश की पूजा का शाम का मुहूर्त – शाम 05:49 – शाम 06:16
चांद निकलने का समय – रात 8 बजकर 50 मिनट
बन रहा शुभ योग
सकट चौथ का व्रत इस बार बेहद शुभ संयोग में रखा जाएगा। इस दिन तीन प्रीति, आयुष्मान और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह की चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर अपनी तेज बुद्धि का परिचय दिया था। ऐसे में इन तीन खास योग में सकट चौथ व्रत में गजानन जी की उपासना करने से संतान की बुद्धि और बल में बढ़ोत्तरी होगी।
प्रीति योग – 9 जनवरी 2023, सुबह 10.32 – 10 जनवरी 2023, 11.20
आयुष्मान योग – 10 जनवरी 2023, 11.20 – 11 जनवरी 2023, दोपहर 12.02
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 07.17 – सुबह 09.01 (10 जनवरी 2023)
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पूजा विधि
सकट चौथ व्रत के दिन प्रात: काल स्नान के बाद हाथ में सिक्का, फूल और जल लेकर निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें।
शाम को शुभ मुहूर्त में जहां पूजा करनी है वहां गोबर से लेपन करें और गंगाजल छिड़कर पूजा की चौकी रखें। चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाएं।
पान के पत्ते पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर भगवान गणेश के समक्ष रखें। अब उन्हें सुपारी, लौंग, इलायची, लाल या पीले फूल, पंचमेवा, धूप, दीप, रोली, मौली, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, सिंदूर, मौसमी गणपति जी को चढ़ाएं।
21 दूर्वा गांठ जोड़े में अर्पित करें। इस व्रत में तिल का खास भोग लगाया जाता है। तिल में गुड़ और गाय का घी मिलाकर तिलकुट चढ़ाएं या तिल के 11 लड्डू भी भोग में लगा सकते हैं। इससे हर किसी कार्य में बाधा नहीं आती।
दीपक लगाकर अब सकट चौथ व्रत की कथा पढ़े। पूरे परिवार सहित गणेश जी की आरती करें और संतान को तिलक लगाकर भोग में चढ़ाया प्रसाद खिलाएं और बाकी अन्य में बांट दें।
सकट चौथ व्रत में गणेश की पूजा के बाद बच्चों से हरी चीजों का दान दिलवाएं।
चांद निकलने के बाद कलश में दूध, गंगाजल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस दौरान ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: मंत्र का जाप करें, इससे मन पर नियंत्रण करने की शक्ति मिलेगी और चंद्र दोष दूर होगा।
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सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज में एक कुम्हार रहता था। उसके बर्तन अक्सर कच्चे रह जाते थे। इस समस्या से हारकर वह कुम्हार एक तांत्रिक के पास उपाय जानने पहुंचा।
तांत्रिक ने उससे कहा कि वह आवा में एक बच्चे की बलि दे, इससे परेशानी खत्म हो जाएगी। तांत्रिक के कहने पर कुम्हार ने एक छोटे बच्चे को आवा में डाल दिया, उस दिन संकष्टी चतुर्थी थी। बच्चे की मां संतान के प्राणों की रक्षा के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना करने लगी। गणपति की माया से बच्चे को आंच तक नहीं आई।
ये बात जब राजा को पता चली तो बच्चे और उसकी मां को बुलवाया गया। मां ने इसे सकट चतुर्थी व्रत का महाम्त्य बताया, तभी से महिलाएं अपनी संतान और परिवार की सुरक्षा और खुशहाली के लिए ये व्रत करती हैं।
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