Hariyali Teej 2022 Special Yog: हर साल तीज का त्योहार सावन (Hariyali Teej 2022) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। (Hariyali Teej 2022) माना जाता है कि हरियाली तीज (Hariyali Teej 2022) से त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। तीज के बाद नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्रि आदि की शुरुआत हो जाती है। तीज का व्रत मां पार्वती को समर्पित है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कामना करती हैं. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
Hariyali Teej 2022
हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व होता है। महिलाएं सज-संवर कर हरे रंग के वस्त्र, चूड़ियां पहन कर पूजा करती हैं। मां पावर्ती को ऋंगार का समान अर्पित करती है. इस बार हरियाली तीज 31 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी। इस बार तीज पर कुछ विशेष योग बन रहा है। आइए जानते हैं इन योग, शुभ मुहू्र्त और पूजन विधि के बारे में।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 2022
सावन शुक्ल पक्ष की तीज को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। इस बार हरियाली तीज 31 जुलाई 2022, रविवार के दिन पड़ रही है। सावन शुक्ल तृतीया तिथि सुबह 02 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 01 अगस्त सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर होगा।
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हरियाली तीज पर विशेष योग
इस बार हरियाली तीज रविवार को होने के कारण रवि योग बन रहा है। माना जाता है कि किसी भी कार्य को पूरा करने के लिएो रवि योग शुभ होता है। इतना ही नहीं, ये भी मान्यता है कि रवि योग में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में शुभ प्रभावों में वृद्धि होती है। बता दें कि इस दिन रवि योग दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 अगस्त सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।
हरियाली तीज पूजन विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह समय से उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन बालू के भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति बनाने का विधान है। चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, मां पार्वती, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश जी की मूर्ति बना कर स्थापित की जाती है और उनकी पूजा की जाती है।
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मां पार्वती को ऋंगार का सामान अर्पित किया जाता है। फिर भगवान शिव, मां पार्वती का आवाह्न किया जाता है। गणेश जी, मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव जी को वस्त्र अर्पित कर व्रत कथा करें। मूर्ति बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें।
पूजा के बाद अवश्य करें इस मंत्र का जाप
ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:
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