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Diwali 2022: क्यों मनाते हैं दीपावली? ये 4 वजह हैं खास

Diwali 2022: हिंदू धर्म में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। इन सभी के पीछे कोई न (Diwali 2022) कोई कारण या मान्यता जरूर होती है। दीपावली (Diwali 2022) भी एक ऐसा ही त्योहार है। ये त्योहार कार्तिक अमावस्या पर मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 24 अक्टूबर, सोमवार को है। (Diwali 2022) इस पर्व को मनाने के पीछे 1 नहीं कई कारण है जो इसे खास बनाते हैं। इनमें से कुछ का वर्णन तो ग्रंथों में भी मिलता है, वहीं कुछ सिर्फ किवंदतियां के रूप में प्रचलित हैं। आज हम आपको दीपावली से जुड़ी इन्हीं कारणों के बारे में बता रहे हैं…

Diwali 2022

Diwali 2022

श्रीराम अयोध्या लौटे थे
दीपावली मनाने की सबसे प्रमुख कथा भगवान श्रीराम से जुड़ी है। इसके अनुसार लंका में रावण का वध करने के बाद जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो इस खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजा दिया। अयोध्या आने पर उनका नगरवासियों ने भव्य स्वागत किया। तभी से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है।

नरकासुर का हुआ वध
द्वापरयुग में नरकासुर नाम के राक्षस ने 16 हजार महिलाओं का अपहरण कर लिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उन महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त किया। उस दिन सभी लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया। एक ये कथा भी दीपावली की प्रचलित है।

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Diwali 2022

पांडवों का मिला था अपना राज्य
एक अन्य कथा के अनुसार, कौरवों ने छल से पांडवों का राज-पाठ हड़प लिया था। जिसके कारण उन्हें 13 वर्ष तक वन में रहना पड़ा। इसके बाद जब पांडव आए तो कौरवों और उनके बीच घमासान युद्ध हुआ। युद्ध में विजय प्राप्त करके जब पांडवों ने नगर में प्रवेश किया तो नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से दीपावली मनाई जा रही है।

राजा बलि को मिला सुतल लोक के राजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन रूप लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में लेकर उनका सर्वस्व ले लिया और उन्हें सुतल लोक का राजा बना दिया। सुतल में रहने वाले लोगों को जब ये पता चला तो उन्होंने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। वहीं इंद्र ने भी स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नता पूर्वक दीपोत्सव मनाया। तभी ये दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है।

Diwali 2022

जब स्वर्ग में फिर लौटी श्री यानी लक्ष्मी
एक बार क्रोधित होकर ऋष दुर्वासा ने इंद्र को श्राप दे दिया कि स्वर्ग श्रीविहिन हो जाएगा। इसे श्राप के कारण देवी लक्ष्मी को स्वर्ग सहित भगवान विष्णु को छोड़कर समुद्र में जाना पड़ा। बाद में जब असुरों व देवताओं ने समुद्र मंथन किया तो उसमें से अनेक रत्नों के साथ देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुईं। देवी लक्ष्मी ने भगवान नारायण का वरण किया। तभी ये दीपावली पर्व मनाया जा रहा है।

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